मंगलवार, 30 जुलाई 2013

स्वामी विवेकानंद - एक ज्वलंत विचारधारा

किसी भी देश के युवा, देश के सबसे महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली संसाधन होते हैं। इनकी सर्वसमर्थ लेकिन दिशाहीन ऊर्जा को ज्ञान के साथ की बहुत आवश्यकता होती है। जब युवाओं को अपना कर्म और लक्ष्य पता हो, तभी देश की संपूर्ण शक्ति एक उचित दिशा की ओर केन्द्रित हो सकती है और देश उन्नति के मार्ग पर चल सकता है। ज्ञान ही व्यक्ति को इतना समर्थ बनाता है कि वह अपने नैतिक मूल्यों को स्वंय तय कर सके।देश में जन्मे कुछ महान विचारकों ने अपना पूरा जीवन इसी सत्य की खोज में समर्पित कर दिया कि मानव जीवन का मूल व अन्तिम उद्देश्य क्या है और उन्होंने अपने मूल्यवान विचारों से जन साधारण को लाभान्वित किया। कई परिवर्तनकारी विचारों को संसार के सामने लाने के लिये इन्हें संघर्ष भी करना पड़ा और इन विचारों को ठीक प्रकार से स्वीकृत होने में समय भी बहुत लगा। लेकिन ये व्यक्ति, अन्य जिज्ञासु व्यक्तियों के लिये आगे चिंतन का ठोस आधार बनाकर गये। 

स्वामी विवेकानंद एक ऐसे ही देशभक्त संत और युवा विचारक थे। अपने समाज के उत्थान के साथ साथ, विश्व शांति का लक्ष्य लेकर वे चले थे। उनके ऊर्जा से भरे हुए विचारों को पढ़ा और समझा जाए, यही उन्हें उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। उनका ये कथन कि ‘उठो, जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति से पूर्व मत रुको!‘ देश को निरंतर प्रेरणा देता रहा है। 39 वर्ष के अपने अल्प जीवन में स्वामी विवेकानंद ने अशिक्षा, अज्ञान, गरीबी, धर्म-भीरुता और सांप्रदायिकता से जूझते राष्ट्र को झकझोरकर जगाने और एकजुट करने का भरपूर प्रयास किया। उनके उपदेशों का आधार आध्यात्मिक था लेकिन वे धर्मान्धता के कट्टर विरोधी थे। वे विरोधी थे, मानव की स्वभावगत कमज़ोरियों जैसे स्वार्थ और कायरता के, जिनसे मुक्ति पाने के लिये वे पराधीन भारत को सदा प्रेरित करते रहते थे।


अपनी जिज्ञासू प्रकृति और बहुत सी यात्राओं के कारण उनका ज्ञान और अनुभव दोनों ही बहुत समृद्ध था। उनका कहना था कि, ‘आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर, धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो!’। वे सत्य को साहसपूर्वक कहने के पक्षधर थे। उनके आध्यात्मिक दृष्टि, उनके इन शब्दों में मिलती है, “सभी जीवंत ईश्वर हैं, इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो।”


स्वामी विवेकानंद की अधिकतर किताबों (Swami Vivekananda Books) में दुनियाभर में दिये गये उनके भाषणों को संकलित किया गया है व उनकी ज्वलंत विचारधारा व दर्शन को शब्द दिये गये हैं। वे स्वयं एक अच्छे वक्ता होने के साथ साथ एक प्रभावशाली लेखक भी थे। उनके जीवन ने कई नाटकीय मोड़ लिये और कई प्रेरक प्रसंग हुए, जिन पर संस्मरण भी लिखे गये हैं।

शिलालेख बुक्स के ऑनलाइन स्टोर (online bookstore) पर स्वामी विवेकानंद की पुस्तकों का पूरा संग्रह उपलब्ध है और जिन्हें ऑनलाईन ऑर्डर करके (order books online) मंगवाया जा सकता है और घर बैठे उनके आदर्श विचारों व प्रगतिशील जीवन को समझा सकता है। वे एक आदर्श व्यक्तित्व थे और देश के युवाओं को उनके पुस्तकों से अवश्य ही प्रेरणा लेनी चाहिए।

बुधवार, 17 जुलाई 2013

किताबों का अनोखा संसार

किताबों का अनोखा संसार बाकि दुनिया से अलग ज़रूर लगता है पर दुनिया की कोई ऐसी बात नहीं जो इन किताबों में ना मिले। एक ही तरह की घटनाओं का विवेचन अलग अलग दृष्टिकोणों के कारण अलग अलग रूप में यहाँ मिलता है। जीवन के सभी पक्षों पर किताबें लिखी गयी हैं और किस्सों के रूप में कई महत्वपूर्ण अनुभव इनमें सहेजे गये। फ़िर इन पर समय का प्रभाव नहीं पड़ता, किताबें मानो समय को रोक कर उन्हें पढ़ने वाले को मनचाहे समय में, मनचाहे स्थान पर, पहुँचा देती हैं और वह अपनी यात्रा से थोड़ा सा अवकाश लेकर एक दूसरी ही यात्रा पर निकल पड़ता है। 


अच्छे अनुभवों को बाँटना और अपनी अपनी तरह से सौंदर्य की व्याख्या करना मानव स्वभाव है। कुछ बहुत प्रभावशाली लेखनी के धनी लेखकों ने जीवन और प्रकृति के सौंदर्य के प्रति अपने प्रेम को लिखकर प्रकट किया है और इस प्रकार संसार को कई अनुपम रत्न भेंट किये हैं। वहीं कुछ ज़िम्मेदार लेखकों ने अच्छी किताबों के अनुवाद भी प्रस्तुत किये है। अब कई बढ़िया हिन्दी किताबें ऑनलाइन (Hindi books online) उपलब्ध हैं। अंग्रेज़ी साहित्य के कुछ उत्कृष्ट नमूने भी अब ऑनलाइन (English books online) मौजूद हैं और इसके अलावा लगभग सभी मौलिक व परिवर्तनकारी किताबों के हिन्दी और अंग्रेज़ी संस्करण प्राप्त करना अब मुश्किल नहीं।


प्रकृति के साथ साथ मानव की प्रकृति का सूक्ष्म विवेचन इन किताबों में मिलता है। मन की बेवजह की चिन्ताओं को, रोमांचित करने वाली कल्पनाओं को, अव्यक्त भावनाओं व संवेदनाओं को शब्द देने का काम करती हैं किताबें। ऐसा करके वे पाठक का ध्यान इनसे भटका देती हैं और इस तरह उसे समस्याओं के प्रति अपनी दृष्टि बदलने का समय मिल जाता है। आधुनिक हिन्दी के कुछ महान लेखकों की पुस्तकों में ऐसा प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है। स्वामी विवेकानन्द की किताबों (Swami Vivekananda books) में भारत के प्राचीन वैदिक ज्ञान के प्रति एक नया वैज्ञानिक दृष्टिकोण देखने को मिलता है जो कुन्द मानसिकता से पाठक को मुक्त करता है और वेदों में लिखे प्रत्येक तथ्य की, अपनी बुद्धि और अनुभव के आधार पर समुचित जाँच करने की प्रेरणा देता है।



किताबें, कभी बहुत गम्भीर विषयों पर व्यंग्य करती, कभी दुर्भाग्य पर उपहास करती तो कभी मामूली सी किसी बात पर भावुक करती दिखाई देती हैं और निरंतर हमें अधिक संवेदनशील बनाती हैं। लेकिन वे हमें कमज़ोर भी नहीं करतीं, बल्कि साहस करना और अपने निश्चय पर दृढ़ रहना सिखाती हैं। विश्वास जगाती हैं कि अन्त में सब अच्छा होगा और फ़िर भी सब छोटी बड़ी कमियों को स्वीकार कर उनके साथ जीना सिखाती हैं।


यूँ कहिए, किताबों को पढ़ना इसलिये ज़रूरी है क्योंकि ये जीवन के लगभग सभी विरोधाभासों से ये एक साथ ही आपका परिचय करवा देती हैं । विरोधाभास, भारतीय लेखकों की पुस्तकों (Indian authors books) की विशेषता रहे हैं। अब जबकि सभी दूसरी वस्तुओं की तरह किताबों को भी ऑनलाइन खरीदना (buy books online in India) आसान हो गया है, कई प्रसिद्ध लेखकों की कृतियाँ (famous authors books ) फ़िर से प्रकाश में आ रही हैं।

मंगलवार, 2 जुलाई 2013

शिलालेख बुक्स - व्यापक भारतीय साहित्य

किताबें शब्दों की उस अनूठी ताकत का संग्रह होती हैं जो व्यक्ति का नज़रिया और जिन्दगी दोनों बदल सकती है। ये शब्द ऐसी मधुरता और परिपक्वता से रचे जाते हैं कि जीवन में भी आनंद और सन्तोष घोल देते है। भारतीय साहित्य शब्दों की ऐसी ही सुन्दर विशेषताओं से परिपूर्ण है। एक से बढ़कर एक कई महान लेखकों और कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से साहित्य को इतना समृद्ध किया है कि सारे संसार में भारतीय साहित्य न केवल पठनीय और सराहनीय, बल्कि अनुकरणीय भी माना जाता है। भारतीय दर्शन तो सदा से ही सारे संसार को आकर्षित व आश्चर्यचकित करता रहा है।


फ़िर इस हिन्दी भाषा में ही इतना माधुर्य है कि केवल भारतीय साहित्य और संगीत को अच्छे से समझने के लिये ही दुनिया में बहुत से हिन्दी नहीं जानने वाले लोग हिन्दी सीख रहे हैं। ऐसे में यदि हम हिन्दी भाषी लोग ही इस भाषा के विस्तृत, गम्भीर और बहुत सुन्दर साहित्य से अनजान रहें तो ये ठीक नहीं लगता। ज्ञान और शांति की खोज में रहना तो मनुष्य का स्वभाव ही है, लेकिन वह ये सब ढूँढने दूर क्यों जाये, और क्यों ना पढ़े अपने ही लोगों के उन अनुभवों को जो ऐसी ही अनन्त खोजों के दौरान लिखे गये हैं। प्रेम और अध्यात्म का जैसा विवेचन यहाँ मिलता है वैसा इस संसार में कहीं नहीं। पश्चिम के विपरीत हमारी सभ्यता में क्यों जीवन में ठहराव को इतना महत्व दिया गया है, शान्ति को क्यों बाहरी सन्सार में तलाशने के बजाय अपने ही अन्तरमन में पाने पर ज़ोर दिया गया है और कब और कैसे इसी संस्कृति की ये सुन्दर विशेषताएं रूढ़ियाँ में बदल जाती हैं, कैसे विकास को अवरूद्ध कर देती हैं और स्वतन्त्रता में बाधक बन जाती है, इसके लिये हमें क्या और कितना अपनाना है और क्या बदलना होगा, ये सब भी गहराई से समझने के लिए इस साहित्य का सम्पूर्ण और उचित अध्ययन जरूरी है।


शब्द ज्ञान के होते हुए भी शब्दों के ऐसे अनुपम संग्रह से वंचित रहना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहलायेगा। हालाँकि ऐसी सभी असाधारण किताबों को एक ही स्थान पर पाना, मुश्किल होता है लेकिन ज्ञान पिपासु लोगों को अच्छी किताबों को दूर नहीं रखा जा सकता। दूर रखा जाना चाहिये भी नहीं। इस अत्याधुनिक युग में जहाँ इन्टरनेट ने हर वस्तु और सुविधा को सुलभ कर दिया है, मनचाही किताबों को प्राप्त करना भी सरल हो गया है। शिलालेख बुक्स (Shilalekhbooks.com) ने एक ऐसा ही सराहनीय काम किया है, महान भारतीय और एतिहासिक रचनाकरों की हिन्दी रचनाओं का संग्रह प्रस्तुत करके। कुछ उत्सुक और जागरुक हिन्दी प्रेमियों के प्रयासों के चलते अब हिन्दी पुस्तकें भी ऑनलाइन (Hindi books Online) उपलब्ध हैं। इस ब्लॉग ‘शब्द संग्रह’ में हम जानेंगे भारत के कई प्रसिद्ध लेखकों (Famous authors books) के बारे में और साथ में होंगी ढेरों बातें पुस्तकों के बारें में।